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शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

800 साल पुराने कारण जिम्मेदार हें, देश में महिलाओ पर घरेलू और सामाजिक अपराधो के पीछे .........

यह बड़े ही दुख और शर्म की बात है कि माँ दुर्गा और माँ सरस्वती का हमारा यह महान देश आज महिलाओं के लिए दुनिया का चौथा सबसे खतरनाक देश बन चुका है, इससे पहले जो देश है वो है अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान. (15. 06. 2011 के अखबारो के अनुसार). यह भी बड़े दुख की बात है कि आज हम लोग यह भूल चुके है कि क्यों हमारे देश के लोगो ने अपनी बेटियों को मारना शुर किया और क्यों हमारा देश जो कभी वैदिक युग में दुनिया में सबसे आगे हुआ करता था वही देश आज बेईमानी, भ्रष्टाचार, अपराध और हिंसा में बहुत आगे है?

देश के प्रथम राष्ट्रपति लाल बहादुर शास्त्री की हत्या के जिम्मेदार जिन्हें कोई पहचाना नही .........

Photo: कुलदीप नैयर की आत्मकथा में कई अहम खुलासे

लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में भी नैयर ने अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला है। वे लिखते हैं कि उस रात मैं लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का सपना देख रहा था। तभी दरवाजे पर हुई दस्तक से मैं जागा। गलियारे में खड़ी एक महिला ने कहा, ‘आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं।’ मैं हड़बड़ी में एक भारतीय अधिकारी के साथ कुछ ही दूरी पर स्थित शास्त्री जी के कमरे की ओर दौरा। पता चला, शास्त्री नहीं रहे। शास्त्री जी का कमरा काफी बड़ा था। उनका बेड भी। उनके चप्पल कारपेट पर सही तरीके से रखे थे।

कमरे के एक कोने में ड्रेसिंग टेबल पर थर्मस लुढ़का पड़ा था। आधिकारिक फोटोग्राफर और मैंने शास्त्री के पार्थिव शरीर पर तिरंगा ओढ़ा दिया और श्रद्धांजलि के साथ कुछ फूल चढ़ाये। बाद में मैंने जो खबर जुटायी, उसके अनुसार, शास्त्री जी 10 बजे रात अपने कमरे में आये। इसके बाद उन्होंने अपने निजी सेवादार रामनाथ को भोजन लाने को कहा। उनका भोजन राजदूत टीएन कौल के घर से आता था, जिसे खानसामा जान मोहम्मद पकाता था। खाने के बाद शास्त्री ने रामनाथ से कहा कि काबुल जाने के लिए सुबह जल्दी उठना है।

ताशकंद के समयानुसार, रात 1.20 बजे शास्त्री के सहयोगी सामान बांधने में लगे थे। तभी जगन्नाथ सहाय (शास्त्री के निजी सचिव) के कमरे के दरवाजे तक जाकर परेशान हालत में शास्त्री ने पूछा,’डाक्टर साहब कहां हैं?’ तब सहयोगियों ने उन्हें पानी पिलाया और सहयोगियों के सहारे अपने कमरे के बेड पर लेट गये। इसके बाद उन्होंने अपनी छाती पर हाथ फेरा और अचेत हो गये।

पाकिस्तान के जनरल अयूब मौके पर चार बजे सुबह पहुंचे और शास्त्री की मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया। अयूब ने पाकिस्तान के विदेश सचिव अजीज अहमद को इसकी जानकारी जुल्फिकार अली भुट्टो को देने को कहा। भुट्टो ने मौत शब्द सुनते ही पूछा,’वह दो कमीने कौन!’।

ताशकंद से लौटने के बाद शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री ने मुझसे पूछा कि उनका शरीर नीला क्यों पड़ गया था? मैंने जवाब दिया कि जब पार्थिव शरीर पर लेप लगाया जाता है, तो।। इसके बाद उन्होंने शास्त्री के शरीर पर कुछ कटे के निशान के बारे में पूछा। इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। लेकिन ललिता की एक बात मुझे अचंभित कर गयी कि शास्त्री का पोस्टमार्टम न तो ताशकंद में हुआ था, न दिल्ली में।

इसके कुछ दिनों बाद ललिता के गुस्सा होने का पता चला। वे इसलिए गुस्से में थीं कि शास्त्री के दो सहयोगियों ने उनकी मौत के अप्राकृतिक होने की बातवाले बयान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। समय गुजरने के साथ ही शास्त्री के परिवार का यह विश्वास पुख्ता होता चला गया कि उन्हें जहर दिया गया था।

किसने जहर दिलवाया, ये अब पूरी दुनिया जानती है, परन्तु आज भी लोग कांग्रेस जैसी पार्टी को समर्थन देते हैं इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है?
कुलदीप नैयर की आत्मकथा में कई अहम खुलासे,
लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में भी नैयर ने अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला है। वे लिखते हैं कि उस रात मैं लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का सपना देख रहा था। तभी दरवाजे पर हुई दस्तक से मैं जागा। गलियारे में खड़ी एक महिला ने कहा, ‘आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं।’

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

मुसलमान खुद बोल रहे है की काबा हिन्दू मंदिर था बहा पर यज्ञ होते थे.......



अब हम कुछ नहीं कह रहे है मुसलमान खुद बोल रहे है की काबा हिन्दू मंदिर था बहा पर यज्ञ होते थे .... श्री राम जी वह पर राक्षसों से यज्ञ की रक्षा के लिए मक्का (काबा ) गए थे अनवर जमाल भी येही बोल रहा है की कुरान में वेदों का ज्ञान है और उनके बारे में बोला गया है ..लेकिन बो अपनी संकिन बुद्धि का प्रयोग करके मुहम्मद को विष्णु अबतार बताने में लगा है जब की ये गलत है ये वेदों में भी सिद्ध है की मुहम्मद शैतान था .... और ये जो पद चिन्ह है ये श्री राम या वावन अवतार के हो सकते है क्युकि इस्लाम में तो पद चिन्ह की पूजा निषेद है और आप खुद देख सकते है चित्र में की पदचिन्ह पर चन्दन , रोली से पूजा होती है और चिन्ह के ऊपर घंटी नुमा भी लग रहा है जो इस्लाम के खिलाफ है .......
 हिंदुस्तान से भी लोग वहां जाते थे। मक्का को भारतीय लोग मख के नाम से जानते हैं। यज्ञ के पर्यायवाची के तौर पर ‘मख‘ शब्द भी बोला जाता है जैसा कि तुलसीदास ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु श्री रामचंद्र जी के जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि
 *प्रात कहा मुनि सन रघुराई। निर्भय जग्य करहु तुम्ह जाई॥
होम करन लागे मुनि झारी। आपु रहे मख कीं रखवारी॥1॥
 भावार्थ:-सबेरे श्री रघुनाथजी ने मुनि से कहा- आप जाकर निडर होकर यज्ञ कीजिए। यह सुनकर सब मुनि हवन करने लगे। आप (श्री रामजी) यज्ञ की रखवाली पर रहे॥1॥
'मख‘ शब्द वेदों में भी आया है और मक्का के अर्थों में ही आया है। यज्ञ को यज भी कहा जाता है। दरअस्ल यज और हज एक ही बात है, बस भाषा का अंतर है। पहले यज नमस्कार योग के रूप में किया जाता था और पशु की बलि दी जाती थी। काबा की परिक्रमा भी की जाती थी। बाद में यज का स्वरूप बदलता चला गया। हज में आज भी परिक्रमा, नमाज़ और पशुबलि यही सब किया जाता है और दो बिना सिले वस्त्र पहने जाते हैं जो कि आज भी हिंदुओं के धार्मिक गुरू पहनते हैं।
 क़ुरआन ने यह भी बताया है कि मक्का का पुराना नाम बक्का है ,
 - अनवर जमाल
 डा. श्याम गुप्त said.............
 ---मक्का निश्चय ही ’मख’ का अपभ्रन्श रूप होसकता है....अति-पुरा काल में सारा अरब प्रदेश, अफ़्रीका, तिब्बत , साइबेरिया , एशिया एक ही भूखन्ड था..जन्बू द्वीप या भरत खन्ड...भारत...अत:भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग ... अरबप्रदेश वाला भारतीय भूभाग मानव का प्रथम पालना रहा होगा जहां से मानव इतिहास की प्रथम सन्स्क्रिति व प्रथम यग्य प्रारम्भ हुई होगी ..शायद जल-प्रलय से पहले ..
 "मरूतगण का अर्थ मरूस्थलवासी है।"---सही नही है ...मरुत..वायुदेव को कहते हैं..मरुतगण का वायु देव की सेना ..जिसमें मेघ,वर्षा आदि भी सम्मिलित हैं...
 --वैदिक युग में यग्य में पशु बलि नहीं दी जाती थी ...बाद में असन्स्कारित, अवैदिक सन्स्क्रिति के लोगों ने यह पशु वध आदि अरम्भ्य किया होगा.