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शनिवार, 29 दिसंबर 2012

पढना मत भुलना : ह्रदय को स्पर्श कर दे ऐसी बात :......

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पढना मत भुलना : ह्रदय को स्पर्श कर दे ऐसी बात :
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मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी |
उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर सेबहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ?
अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया | मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है?
तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है | तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल
जाये |

उसके बाद मैंने मेहनत से पढाई की |माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की | अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया | मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी |सामने मेरी माँ खड़ी थी, आज भी अपनी एक आँख के साथ | मुझे लगा मेरी कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है |
मैंने उनसे पूछा, 'आप कौन हो? मै आपको नहीं जानता | यहाँ आने कि हिम्मत कैसे हुई? तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ |' और माँ ने जवाब दिया, 'माफ़ करना, लगता है गलत
पते पर आ गयी हूँ |' वो चली गयी और मै यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं |

एक दिन स्कूल री-यूनियन की चिट्ठी मेरे घर पहुची और मैं अपने पुराने शहर पहुँच गया | पता नहीं मन में क्या आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया | वहां माँ जमीन मर मृत पड़ी थी | मेरे आँख से एक बूँद आंसू तक नहीं गिरा | उनके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा था...

वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चिट्ठी थी | उन्होंने लिखा था : मेरे बेटे... मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी ली है | मै अब तुम्हारे घर कभी नहीं आउंगी... पर क्या यह आशा करना कि तुम
कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ... गलत है ? मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है | मुझे माफ़ करना कि मेरी एक आँख कि वजह से तुम्हे पूरी जिंदगी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी |
जब तुम छोटे थे, तो एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी | एक माँ के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आँख के साथ बड़े हो, इसीलिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी | मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आँख की मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है | मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है | चिट्ठी पढ़ कर मेरी दुनिया बिखर गयी | और मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी...
मेरी माँ |

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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

समझदारी से लिया काम लोकसभा चुनाव की एडवांस तेयारी, आज होगी विदाई ममता की लुटेरो की सरकार से ....

Mamata Banerjee's party ready to meet President tomorrow to officially quit UPAतृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को संप्रग से बाहर आने की औपचारिकता पूरी करेगी। पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी की संप्रग में बने रहने की तीन शर्तो को कांग्रेस ने तवज्जो नहीं दी है। नतीजा, अपनी घोषणा के अनुरूप तृणमूल के सभी छह मंत्री शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर अपने इस्तीफे देंगे। साथ ही, राष्ट्रपति को केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंपा जाएगा।
खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 51 प्रतिशत किए जाने, डीजल की कीमत पांच रुपये बढ़ाने और एक साल में रियायती दर पर केवल छह एलपीजी सिलेंडर देने के फैसले के विरोध में ममता बनर्जी ने मंगलवार को संप्रग से बाहर आने का एलान किया था। उन्होंने इन फैसलों से पीछे हटने के लिए केंद्र सरकार को 72 घंटे का मौका भी दिया। लेकिन 48 घंटे गुजर जाने के बाद ऐसा नहीं लग रहा कि केंद्र ममता की मांग को गंभीरता से ले रहा है। उल्टे तृणमूल कांग्रेस की समर्थन वापसी से पैदा हुई स्थिति से निपटने में कांग्रेस लगी हुई है। पार्टी की तरफ से आ रहे बयानों में सरकार की स्थिरता पर पूरा भरोसा व्यक्त किया जा रहा है। इसी के बाद गुरुवार को ममता बनर्जी ने कोलकाता में साफ कर दिया कि शुक्रवार को उनकी पार्टी के सभी मंत्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को इस्तीफा सौंप देंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात का समय मांगा गया है, जैसे ही समय मिलता है, पार्टी नेता उनसे मिलकर 19 लोकसभा सदस्यों के समर्थन वापसी का पत्र उन्हें देंगे।
ममता ने कहा, एफडीआइ के मुद्दे पर हम कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं और न ही वह अपनी मांगों पर कांग्रेस नेताओं से बातचीत के लिए नई दिल्ली जाएंगी। ममता के रुख साफ कर दिए जाने से मनमोहन सरकार के अल्पमत में आने का खतरा पैदा हो गया है। घोषित तौर पर सरकार समर्थक लोकसभा सदस्यों की संख्या 273 से घटकर 254 रह जाएगी। इसके बाद पार्टी को बाहरी समर्थन का मोहताज होना पड़ेगा।
केंद्र सरकार से समर्थन वापसी के फैसले से बढ़ी सियासी तपिश के बीच तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा है कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार उनकी योजनाओं की जानकारी के लिए ऐसा कर रही है। वह खुद केंद्र सरकार में रही हैं, इसलिए उन्हें इन तरीकों के बारे में पता हें । 

अपने को ईमानदार साबित करने के लिए, 100 करोड़ खर्च करेगी कांग्रेस ....

कोयले की कालिख से छुटकारा पाने के लिए बेचैन कांग्रेस की सरकार अपना चेहरा चमकाने पर 100 करोड़ रुपये केवल विज्ञापनों खर्च करेगी। भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही सरकार अपनी साफ-सुथरी छवि जनता के बीच लाने की योजना बना रही है। यानी कांग्रेस अपने को इमानदार साबित करने के लिए 100 करोड़ का खर्चा गरीबो का खून चूस कर इकट्ठे किये पेसो से ही करेगी  ।
टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया के जरिए ऐसा करने के लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इस राशि का इस्तेमाल विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) सरकार के लिए एक मजबूत प्रचार अभियान चलाने के लिए करेगा। खबरों के मुताबिक, भारत निर्माण एडवर्टाइजर्स जो यूपीए सरकार की छवि निखारो अभियान का हिस्सा है, विज्ञापन में स्थानीय कलाकारों को उतारेगा। अन्य कॉरपोरेट की तरह सरकार भी नकारात्मक छवि से मुक्त होने के लिए ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्क साइटों का इस्तेमाल करेगी।
वहीं, अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के प्रचार के लिए केंद्र सरकार अब सोशल मीडिया यू-ट्यूब का सहारा ले रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सरकार के कुछ महत्वपूर्ण सम्मेलनों, भाषणों और इससे संबंधित वीडियो को चार दिन पहले यू-ट्यूब पर डाला है। कैसे इस माध्यम से लोगों तक पहुंचा जाए इस पर विचार के लिए करीब तीन महीने पर शीर्ष अधिकारियों की बैठक होगी।


गुरुवार, 20 सितंबर 2012

एक और कारगिल की तेयारी में जुटा पाक, सियाचिन से भारतीय सेना हटाने के लिए पीछे पड़ा पाक.....

1962 can't be repeated: Indian Army chief भारत-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात में बीते दिनों सियाचिन विवाद के निपटारे के लिए पाकिस्तान की बेसब्री भले ही दिखाई दी हो, लेकिन भारतीय सेना ने स्पष्ट कहा है कि वह अपनी पोजीशन छोड़ने के हक में नहीं है। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के अनुसार सेना ने अपनी राय सरकार को बता दी है। सेना प्रमुख के अनुसार इस बारे में फैसला सरकार को लेना है, लेकिन फौज की राय में कोई तब्दीली नहीं हुई है। ग्राउंड पोजीशन के प्रमाणीकरण के बिना दोनों ओर से सैनिक वापस बुलाने के विकल्प के बारे में पूछे जाने पर उनका दो-टूक कहना था कि सियाचिन के लिए हमने कई जानें गंवाई हैं। वहां हम मजबूत स्थिति में हैं और ऐसे में किसी ठोस नतीजे के बिना सैनिकों को वापस लौटाना मुनासिब नहीं है। सेनाध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि सियाचिन भारत के लिए रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है, बीते साल सियाचिन में आए हिम तूफान में अपने सौ सैनिकों को गंवाने के बाद पाकिस्तान दुनिया के इस सबसे ऊंचे मोर्चे से फौजें लौटाने के लिए बेसब्री दिखा रहा है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज अशरफ कियानी भी इसकी कई बार वकालत कर चुके हैं। वहीं, गत 8 सितंबर को इस्लामाबाद में हुई दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद साझा पत्रकार वार्ता में पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कई बार सियाचिन से फौज को लौटाने पर जोर दिया। इससे पहले जून 2012 में रक्षा सचिवों की वार्ता में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। सियाचिन न छोड़ने की राय के बाद बातचीत की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर सेनाध्यक्ष जनरल सिंह ने कहा कि वार्ताएं दोनों मुल्कों के स्तर पर हो रही हैं। देखना होगा कि इस बातचीत का नतीजा क्या होता है। उनका कहना था कि रक्षा सचिवों के बीच हुई 13वें दौर की बातचीत में इस पर वार्ता पूरी नहीं हो पाई थी। अगले दौर में भी चर्चा होगी। उल्लेखनीय है कि सियाचिन पर हक जमाने के पाकिस्तानी मंसूबों के बाद भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के जरिये ग्लेशियर के ऊंचाई वाले स्थान पर कब्जा किया था। चीन के साथ 1962 की लड़ाई को अगले माह 50 बरस पूरे होंगे। इससे पहले सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि भारतीय फौज अब किसी भी सूरत में उसकी पुनरावृत्ति नहीं होने देगी। वहीं, पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी सेना की मौजूदगी को चिंताजनक मानते हुए जनरल सिंह ने कहा कि हम अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। इस बारे में हमने अपनी चिंताएं सरकार को बता दी हैं। किसी एक देश की बात नहीं है, हम किसी को भी भारत की सीमाओं में दाखिल नहीं होने देंगे|

केसे कहें की हम आजाद हें, आज भी अंग्रेजी कानून की पालना में जुटी भारतीय पुलिस........

लाला लाजपात राय अंग्रेजो के खिलाफ़ लड़ रहे थे । अंग्रेजी पुलिस ने उनके सिर में लाठिया मार मार के उनको मार दिया । आजादी के 64 साल बाद 4 जून 2012 को भ्रष्ट कांग्रेस की केंद्र सरकार के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे लोगो में शामिल बहन राजबाला को पुलिस ने डंडे मार मार उनकी हत्या कर दी। आजादी के 64 साल बाद आज भी पुलिस आन्दोलन करने वाले भारतवासियो को वैसे ही डंडे मारती हें, जैसे अंग्रेजो की पुलिस मारती तो थी, तो कैसे कहें की हम आजाद हैं ?
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आखिर ये पुलिस बनी कब ?????????
10 मई 1857 को जब देश में क्रांति हो गई । और भारतवासियों ने पूरे देश में 3 लाख अंग्रेजो को मार डाला । उस समय क्रांतिकारी थे मंगल पांडे, तांतिया टोपे, नाना साहब पेशवा आदि । लेकिन कुछ गद्दार राजाओ के वजह से अंग्रेज दुबारा भारत में घुस आयें । और दुबारा अंग्रेजो को भगाने के लिये 1857 से लेकर 1947 तक पुरे 90 साल लग गये । और इसके लिये भगत सिहं,उधम सिहं , चंद्र शेखर आजाद ,राम प्रसाद बिसमिल, सुभाष चन्द्र बोस जैसे 7 लाख 32 हजार क्रान्तिवीरो को अपनी जान देनी पड़ी । जब अंग्रेज दुबारा भारत में आये, तब उन्होने फ़ैसला किया कि अब हम भारतवासियों को सीधे मारेंगे पीटेंगे नहीं । अब हम इनको कानून बना कर मारेंगे और गुलाम रखेंगे । उनको डर था कि 1857 जैसी क्रान्ति दुबारा न हो जाये । तब अंग्रेजो ने इंडियन POLICE ACT बनाया । नाम मे indian लिखा है !लेकिन indian कुछ नहीं इसमे !! और पुलिस बनायी । उसमे एक धारा बनाई गई right to offence | इसका मतलब था, और हें की पुलिस वाला आप पर जितनी मर्जी लाठिया मारे, पर आप कुछ नहीं कर सकते और अगर आपने लाठी पकड़ने की कोशिश की, तो आप पर मुकद्दमा चलेगा । इसी कानून के आधार पर सरकार आन्दोलन करने वालो पर लाठिया बरसाया करती थी । फ़िर ऐसी ही एक धारा 144 बनाई गई, ताकि लोग सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने के लिए इकट्ठे ना हो सके । ऐसे ही कुछ और खतरनाक कानुन बनाने के लिये साईमन कमीशन भारत आने वाला था । क्रान्तिकारी लाला लाजपत राय जी ने उसका शान्तिपूर्ण तरीके से विद्रोह कर रहे थे । अंग्रेजी पुलिस के एक अफ़सर सांडर्स ने उन के सर पर लाठिया बरसानी शुरु कर दी । एक लाठी मारी ,दो मारी ,तीन ,चार ,पांच करते करते 14 लाठिया मारी । नतीजा ये हुआ लाला जी के सर से खून ही खून बहने लगा, उनको अस्तपताल लेकर गये, ज्यादा खून बहने से वहां उनकी मौत हो गई । लोगो ने कहा हत्यारे सांडर्स को सज़ा मिलनी चाहिए | इसके लिये शहीदेआजम भगत सिंह ने अदालत में सांडर्स मुकद्दमा कर दिया । सुनवाई हुई । अंग्रेजी अदालत ने फैसला दिया कि लाला पर जी जो लाठिया मारी गई है, वो कानून के आधार पर मारी गई है, अब इसमे उनकी मौत हो गई तो अंग्रेज सरकार की कोई गलती नही हें | उनके अनुसार हम क्या करे इसमे कुछ भी गलत नहीं है ।नतीजा सांडर्स  को बाइज्जत बरी कर दिया गया । तब भगत सिंह को गुस्सा आया, उसने कहा जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी के हत्यारे को बाईज्जत बरी कर दिया । उसको सज़ा मैं दुंगा । और इसे वहीं पहुँचाउगा, जहाँ इसने लाला जी पहुँचाया है । और जैसा आप जानते फ़िर भगत सिंह ने सांड्र्स को गोली से उड़ा दिया । और फ़िर भगत सिंह को इसके लिये फ़ांसी की सज़ा हुई ।
जिंदगी के अंतिम दिनो जब भगत सिंह लाहौर जेल में बंद थे, तो बहुत से पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे । और भगत सिंह से पुछा उनकी कोई आखिरी
इच्छा और देश के युवाओ के लिये कोई संदेश ? तब शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा कि मैं देश के नौजवानो से उम्मीद करता हूँ ।
कि जिस indian police act के कारण लाला जी जान गई । जिस indian police एक्ट के आधार मैं फ़ांसी चढ़ रहा हूँ । मै आशा करता हुं, इस देश के नौजवान आजादी मिलने से पहले पहले इस indian police act खत्म करवां देगें ।ये मेरी भावना है | यही मेरे दिल की इच्छा है । लेकिन ये बहुत शर्म की बात है अजादी मिलने के बाद जिन लोगो ने देश कि सत्ता संभाली । उन्होने अंग्रेजो का भारत को बरबाद करने के लिये बनाये गये कानुनो में से एक भी कानुन नही बदला । बहुत शर्म की बात है, आजादी के ६४ साल बाद आज भी इस कानून को हम खत्म नहीं करवा पाये । आज भी आप देखो indian police act के आधार पर पुलिस देश वासियो पर कितना जुल्म करती है । कभी अंदोलन करने वाले किसनो को डंडे मारती है । कभी औरत को डंडे मारती है । सरकार के खिलाफ़ किसी भी तरह का अंदोलन किया जाता है । तो पुलिस आकर निर्दोष लोगो को डंडे मारने शुरु कर देती है । आज तक किसी भी राजा ने पुलिस नही बनाई सबकी सेना हुआ करती थी | अंग्रेजो ने पुलिस और indian police act क्रान्तिकारियों को लाठियो से पीटने और अपना बचाव करने के लिय़े बनाया था । और आजादी के 64 साल बाद भी ये पुलिस सरकार में बैठे काले अंग्रेजो की हितो की रक्षा करती है ।और सरकार के खिलाफ़ आन्दोलन करने वालो को वैसे ही पीटती है । जैसे अंग्रेजो कि पुलिस पीटा करती थी ।
और सबसे ताज़ी घटना 4 जून की वो भयानक रात, जब काला धन वापिस लाने के लिये रामलीला मैदान में सोये हुए देश भक्तो पर आधी रात को काले अंग्रेजो के कहने पर लाठिया बरसाई । इसमे सेकड़ो लोग घायल हो गये । और लाला लाजपत राय की तरह बहन राजबाला को लाठिया मार मार कर मार डाला ।
आज हर साल 23 मार्च को हम भगत सिंह का शहीदी दिवस मानाते हैं । लाला लाजपत राय का शहीदी दिवस मानाते हैं । किस मुँह से हम उनको श्रधांजलि
  अर्पित करे । कि लाला लाजपत राय जी, जिस कानून के आधार आपको लाठिया मारी गई, और आपकी हत्या कर दी गयी, उस कानून को हम आजादी के 64 साल बाद भी हम खत्म नहीं करवा पाये । किस मुँह से हम भगत सिंह को श्रधान्जली दे ?  कि भगत सिंह जी जिस अंग्रेजी कानून के आधार पर आपको फ़ासी की सज़ा हुई । आजादी के 64 साल बाद भी हम उसको सिर पर ढो रहे हैं । आज आजादी के 64 साल बाद भी पुलिस आन्दोलन करने वाले भारत वासियो को वैसे ही डंडे मारती हें, जैसे अंग्रेजो की पुलिस मारती तो थी तो कैसे ख सकते हें की हम आजाद हैं|
यह तो थी एक indian police act की कहानी ! अंग्रेज़ो ने ऐसे 34700 कानून भारत को गुलाम बनाने के लिए बनाए थे ! और बहुत शर्म की बात है !वो सारे
के सारे कानून आज भी वैसे के वैसे देश चल रहे हैं !! एक भी कानून को हम बदल नहीं पाये ! बस फर्क इतना है पहले गोरे अंग्रेज़ शासन करते थे, आज काले अंग्रेज़ शासन कर रहे हैं |

बुधवार, 19 सितंबर 2012

ये पोस्ट जरुर पढ़े और शेयर भी करे, आप सब से हाथ जोड़ कर निवेदन हें, सारे दलो के नेता मोदी को हराने के पीछे पड़े, अकेला पड़ता एक विकास पुरुष......

गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा व काग्रेस समेत करीब एक दर्जन राजनीतिक दल मैदान में कूद चुके है। काग्रेस, जीपीपी, राकापा, जदयू, लोजपा, शिवसेना, सपा व बसपा सहित हर दल के निशाने पर गुजरात गोरव मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी है, जबकि मोदी के निशाने पर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह व काग्रेस महासचिव राहुल गाधी। सारी पार्टिया आज मोदी जी के पीछे हाथ धो कर पड़ गयी हें, क्यों की वो सिर्फ आम जनता के विकास और फायदे के ही काम करते हें, और दुसरे दल सिर्फ लफ्फासी बाते ही करते हें, और घोटालो के बारे में तो आप जानते ही हें | अब ये सारे चोर और घोटालेबाज दल और नेता यही चाहते हें, और यही काम करते आये हें की, जो भी इस देश का या जनता का विकास करता हें या करने की कोशिश भी अगर करता हें तो ये उसे डुबोने में या उसे बहुत भारी अपराधी साबित करने में लग जाते हें| अब सब मोदी जी के पीछे इसलिए ही पड़े हें क्यों की उनके द्वारा कराए गये विकास कार्यो की चर्चा भारत में ही नही पुरे विश्व में हो रही हें |  
मोदी जी देश के विकास की बात कर रहे है, जबकि अन्य दल वोट ''कटवा'' बनकर भाजपा और मोदी जी का चुनावी गणित बिगाड़ने की रणनीति पर चल रहे है। देश के आम चुनाव से पहले गुजरात विधानसभा के चुनाव को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री मोदी व काग्रेस नेता राहुल गाधी का आमना सामना तय है। राजनीतिक बयानबाजी के चलते इस चुनाव पर देश की नजरे टिकी है, मोदी अपनी विवेकानंद युवा यात्रा के जरिए जनसंपर्क में जुटे है, जबकि काग्रेस को अपने स्टार प्रचार राहुल का इन्तजार है। मुख्यमंत्री मोदी अपने शासन के चार हजार दिन पूरे करने के साथ ही मंगलवार को राज्य के 14 हजार सरपंचों का महासम्मेलन आयोजित कर एक बड़े वोट बैंक को साधने की तैयारी में है। इससे पहले मोदी ने गाधीनगर में ही महात्मा मंदिर की स्थापना के दौरान भी प्रदेश के सभी सरपंचों को इसमें भागीदार बनाया था। उधर काग्रेस केंद्र सरकार तथा प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की उपलब्धियों को जनता तक पहुचाकर गुजरात की दशा और दिशा बदलने का भरोसा दे रही है। काग्रेस अपने गुजरात प्रजा विकास दर्शन के जरिए अब तक सात चुनावी घोषणाएं कर चुकी है, जिसमें महिलाओं को आवास, युवाओं को रोजगार, ब्याज मुक्त मोबाइक, मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य के साथ मुफ्त लेपटॉप देने का झूठा वादा किया गया है।अगर गुजरात की जनता इन चोर कांग्रेसियों के झूठे वादों के चक्कर में पड़ी तो वो अपने विकास पुरुष मोदी को खो देगी | और कांग्रेस फिर से गुजरात को बीमारू राज्यों की लाइन में ला कर पटक देगी | मुख्यमंत्री मोदी अब तक अपने विकास कार्यो के साथ काग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाए हुए है, अब उनके मुद्दों में किराना बाजार में विदेशी निवेश, डीजल के दाम में वृद्धि तथा राहत दरों पर मिलने वाले गैस सिलेंडर भी शामिल हो गए है। मोदी केंद्र के इन फैसलों को जनविरोधी बताने के साथ काग्रेस पर देश को बर्बाद करने का भी आरोप लगा रहे है। इसके जवाब में काग्रेस ने अपने चुनाव प्रबंधकों को मैदान में उतारने के संकेत दिए है। देश में सूचना क्राति के जनक सैम पित्रोदा को गुजरात भेजकर इसकी शुरुआत भी कर दी है। पित्रोदा का कहना है कि केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाधी और बोफोर्स तोप घोटाले के पिता के 21वीं सदी के भारत का सपना पूरा करने को कटिबद्ध है। जिसमे पुरे देश को अमेरिका के यहा गिरवी रखना भी शामिल हें |
मेरी गुजरात वासियों से एक ही अपील हे की मोदी जेसा व्यक्ति उन्हें वापस कभी नही मिलेगा | वोटिंग वाले दिन सब अपना काम बंद रख कर अपने परिवार के हर इंसान वो चाहे कहीं भी हो, उसका वोट मोदी जी के पक्ष में डलवाए, जाती-पाती और दलगत निति से ऊपर उठ कर मोदी को वोट करे, और सारे चोर और लुटर डालो को सबक सिखाये ताकि दुबारा वो गुजरात का रुख नही करे|