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शनिवार, 15 सितंबर 2012

देश में शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग थे,11 तो हें 12 वाँ कहाँ गया ? जाने पूरी हकीकत.........

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग थे 11 का सब को पता हें 12 व कहा गया ? आपको पता हें ? चलो में बताता हूँ 12 वे ज्योतिर्लिंग का नाम हे अग्रेश्वर महादेव जो की आगरा में स्थित था|  अब आप कहेंगे की आगरा में आज की तारीख में तो कोई शिव जी का ज्योतिर्लिंग नही हें ? किसी जमाने में, जिसे आज सब ताज महल कहते हें, वो शिवालय हुआ करता था |जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी या कहे की बच्चे पैदा करने की मशीन मुमताज की लाश को दफ़न करने के लिए जबरदस्ती छीन लिया था | पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट पढ़े और अगर आप की रगों में हिन्दू का खून हें, तो ज्यादा से ज्यादा शेयर जरुर करे......
>प्रो. ओक कि खोज ताजमहल के नाम से प्रारम्भ होती है———
=”महल” शब्द, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता…
यहाँ यह व्याख्या करना कि, महल शब्द मुमताज महल से लिया गया है……वह कम से कम दो प्रकार से तर्कहीन है-
पहला - शाहजहाँ कि पत्नी का नाम मुमताज महल कभी नही था, बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-ज़मानी था ।
और दूसरा - किसी भवन का नामकरण किसी महिला के नाम के आधार पर रखने के लिए केवल अन्तिम आधे भाग (ताज)का ही प्रयोग किया जाए और प्रथम अर्ध भाग (मुम) को छोड़ दिया जाए, यह समझ से परे है ।
प्रो.ओक दावा करते हैं कि,ताजमहल नाम तेजो महालय (भगवान शिव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण है, साथ ही साथ ओक कहते हैं कि -
मुमताज और शाहजहाँ कि प्रेम कहानी, चापलूस इतिहासकारों की भयंकर भूल और लापरवाह पुरातत्वविदों की सफ़ाई से, स्वयं गढ़ी गई कोरी अफवाह मात्र है, क्योंकि अगर इसमे थोड़ी भी सच्चाई होती तो शाहजहाँ के समय का कम से कम एक शासकीय अभिलेख इस प्रेम कहानी की पुष्टि कही ना कही जरुर करता है…..
इसके अतिरिक्त बहुत से प्रमाण ओक के कथन का प्रत्यक्षतः समर्थन कर रहे हैं……
तेजो महालय (ताजमहल) मुग़ल बादशाह के युग से पहले बना था, और यह भगवान् शिव को समर्पित था तथा आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था ।
==>न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के यमुना की तरफ़ के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि, यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना है ।
==>मुमताज कि मृत्यु जिस वर्ष (1631) में हुई थी, उसी वर्ष के अंग्रेज भ्रमण कर्ता पीटर मुंडी का लेख भी इसका समर्थन करता है कि, ताजमहल मुग़ल बादशाह के पहले का एक अति महत्वपूर्ण भवन था ।
==>यूरोपियन यात्री जॉन अल्बर्ट मैनडेल्स्लो ने सन् 1638 (मुमताज कि मृत्यु के 07 साल बाद) में आगरा भ्रमण किया, और इस शहर के सम्पूर्ण जीवन वृत्तांत का वर्णन किया, परन्तु उसने ताज के बनने का कोई भी सन्दर्भ नही प्रस्तुत किया, जबकि भ्रांतियों मे यह कहा जाता है कि ताज का निर्माण कार्य 1631 से 1651 तक जोर शोर से चल रहा था ।
==>फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम.डी. जो औरंगजेब द्वारा गद्दीनशीन होने के समय भारत आया था, और लगभग दस साल यहाँ रहा, के लिखित विवरण से पता चलता है कि, औरंगजेब के शासन के समय यह झूठ फैलाया जाना शुरू किया गया कि, ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था…….
प्रो. ओक. बहुत सी आकृतियों और शिल्प सम्बन्धी असंगताओं को इंगित करते हैं जो इस विश्वास का समर्थन करते हैं कि, ताजमहल विशाल मकबरा न होकर विशेषतः हिंदू शिव मन्दिर है…….
आज भी ताजमहल के बहुत से कमरे शाहजहाँ के काल से बंद पड़े हैं, जो आम जनता की पहुँच से परे हैं। प्रो. ओक जोर देकर कहते हैं कि, हिंदू मंदिरों में ही पूजा एवं धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान् शिव की मूर्ति, त्रिशूल,कलश और ॐ आदि वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं।
==>ताज महल के सम्बन्ध में यह आम किवदंत्ती प्रचलित है कि ताजमहल के अन्दर मुमताज की कब्र पर सदैव बूँद बूँद कर पानी टपकता रहता है, यदि यह सत्य है तो पूरे विश्व मे किसी कि भी कब्र पर बूँद बूँद कर पानी नही टपकाया जाता, जबकि प्रत्येक हिंदू शिव मन्दिर में ही शिवलिंग पर बूँद बूँद कर पानी टपकाने की व्यवस्था की जाती है, फ़िर ताजमहल (मकबरे) में बूँद बूँद कर पानी टपकाने का क्या मतलब….????
राजनीतिक भर्त्सना के डर से इंदिरा गाँधी सरकार ने ओक की सभी पुस्तकें स्टोर्स से वापस ले लीं थीं, और इन पुस्तकों के प्रथम संस्करण को छापने वाले संपादकों को भयंकर परिणाम भुगत लेने की धमकियां भी दी गईं थी ।
प्रो. पी. एन. ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है, कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाए, और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को छानबीन करने दे ।
ज़रा सोचिये….!!!!!!
कि यदि ओक का अनुसंधान पूर्णतयः सत्य है तो किसी देशी राजा के बनवाए गए संगमरमरी आकर्षण वाले खूबसूरत, शानदार एवं विश्व के महान आश्चर्यों में से एक भवन, “तेजो महालय” को बनवाने का श्रेय बाहर से आए मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को क्यों……?????
तथा -
इससे जुड़ी तमाम यादों का सम्बन्ध मुमताज-उल-ज़मानी से क्यों……..??????? ताजमहल के बारे में ये लाइने बिलकुल सटीक बैठती हें--
आंसू टपक रहे हैं, हवेली के बाम से,
रूहें लिपट के रोती हैं, हर खासों आम से,
अपनों ने बुना था हमें, कुदरत के काम से,
फ़िर भी यहाँ जिंदा हैं, हम गैरों के नाम से,

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…


जानिए शिव के 12 ज्योतिर्लिंग
ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने वाला खुशनसीब
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FILE

पुराणों के अनुसार शिवजी की आराधना से मनुष्य की सारी मनोकामना पूरी होती है। शिवलिंग पर मात्र जल चढ़ाने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने वाला प्राणी सबसे खुशनसीब है।

शिवपुराण कथा में बारह ज्योतिर्लिंग के वर्णन की महिमा बताई गई है। ये 12 ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनम्, वैद्यनाथम्, केदारनाथम्, सोमनाथम्, भीमशंकरम्, नागेश्वरम्, विश्वेश्वरम्, त्र्यंम्बकेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वरम्, ममलेश्वर व महाकालेश्वरम है। इन सभी का दर्शन हर कोई नहीं कर सकता। सिर्फ किस्मत वाले लोग ही देश भर में स्थित इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन कर पाते हैं।

जानिए शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

1. सोमनाथ
यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।

2. श्री शैल मल्लिकार्जुन
मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थातिप है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।

3. महाकाल
उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।

4. ओंकारेश्वर ममलेश्वर
मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।

5. नागेश्वर
गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।

6. बैजनाथ
बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।

7. भीमशंकर
महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।

8. त्र्यंम्बकेश्वर
नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।

9. घुमेश्वर
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग।

10. केदारनाथ
हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।

11. विश्वनाथ
बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।

12. रामेश्वरम्‌
त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।