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गुरुवार, 20 सितंबर 2012

केसे कहें की हम आजाद हें, आज भी अंग्रेजी कानून की पालना में जुटी भारतीय पुलिस........

लाला लाजपात राय अंग्रेजो के खिलाफ़ लड़ रहे थे । अंग्रेजी पुलिस ने उनके सिर में लाठिया मार मार के उनको मार दिया । आजादी के 64 साल बाद 4 जून 2012 को भ्रष्ट कांग्रेस की केंद्र सरकार के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे लोगो में शामिल बहन राजबाला को पुलिस ने डंडे मार मार उनकी हत्या कर दी। आजादी के 64 साल बाद आज भी पुलिस आन्दोलन करने वाले भारतवासियो को वैसे ही डंडे मारती हें, जैसे अंग्रेजो की पुलिस मारती तो थी, तो कैसे कहें की हम आजाद हैं ?
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आखिर ये पुलिस बनी कब ?????????
10 मई 1857 को जब देश में क्रांति हो गई । और भारतवासियों ने पूरे देश में 3 लाख अंग्रेजो को मार डाला । उस समय क्रांतिकारी थे मंगल पांडे, तांतिया टोपे, नाना साहब पेशवा आदि । लेकिन कुछ गद्दार राजाओ के वजह से अंग्रेज दुबारा भारत में घुस आयें । और दुबारा अंग्रेजो को भगाने के लिये 1857 से लेकर 1947 तक पुरे 90 साल लग गये । और इसके लिये भगत सिहं,उधम सिहं , चंद्र शेखर आजाद ,राम प्रसाद बिसमिल, सुभाष चन्द्र बोस जैसे 7 लाख 32 हजार क्रान्तिवीरो को अपनी जान देनी पड़ी । जब अंग्रेज दुबारा भारत में आये, तब उन्होने फ़ैसला किया कि अब हम भारतवासियों को सीधे मारेंगे पीटेंगे नहीं । अब हम इनको कानून बना कर मारेंगे और गुलाम रखेंगे । उनको डर था कि 1857 जैसी क्रान्ति दुबारा न हो जाये । तब अंग्रेजो ने इंडियन POLICE ACT बनाया । नाम मे indian लिखा है !लेकिन indian कुछ नहीं इसमे !! और पुलिस बनायी । उसमे एक धारा बनाई गई right to offence | इसका मतलब था, और हें की पुलिस वाला आप पर जितनी मर्जी लाठिया मारे, पर आप कुछ नहीं कर सकते और अगर आपने लाठी पकड़ने की कोशिश की, तो आप पर मुकद्दमा चलेगा । इसी कानून के आधार पर सरकार आन्दोलन करने वालो पर लाठिया बरसाया करती थी । फ़िर ऐसी ही एक धारा 144 बनाई गई, ताकि लोग सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने के लिए इकट्ठे ना हो सके । ऐसे ही कुछ और खतरनाक कानुन बनाने के लिये साईमन कमीशन भारत आने वाला था । क्रान्तिकारी लाला लाजपत राय जी ने उसका शान्तिपूर्ण तरीके से विद्रोह कर रहे थे । अंग्रेजी पुलिस के एक अफ़सर सांडर्स ने उन के सर पर लाठिया बरसानी शुरु कर दी । एक लाठी मारी ,दो मारी ,तीन ,चार ,पांच करते करते 14 लाठिया मारी । नतीजा ये हुआ लाला जी के सर से खून ही खून बहने लगा, उनको अस्तपताल लेकर गये, ज्यादा खून बहने से वहां उनकी मौत हो गई । लोगो ने कहा हत्यारे सांडर्स को सज़ा मिलनी चाहिए | इसके लिये शहीदेआजम भगत सिंह ने अदालत में सांडर्स मुकद्दमा कर दिया । सुनवाई हुई । अंग्रेजी अदालत ने फैसला दिया कि लाला पर जी जो लाठिया मारी गई है, वो कानून के आधार पर मारी गई है, अब इसमे उनकी मौत हो गई तो अंग्रेज सरकार की कोई गलती नही हें | उनके अनुसार हम क्या करे इसमे कुछ भी गलत नहीं है ।नतीजा सांडर्स  को बाइज्जत बरी कर दिया गया । तब भगत सिंह को गुस्सा आया, उसने कहा जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी के हत्यारे को बाईज्जत बरी कर दिया । उसको सज़ा मैं दुंगा । और इसे वहीं पहुँचाउगा, जहाँ इसने लाला जी पहुँचाया है । और जैसा आप जानते फ़िर भगत सिंह ने सांड्र्स को गोली से उड़ा दिया । और फ़िर भगत सिंह को इसके लिये फ़ांसी की सज़ा हुई ।
जिंदगी के अंतिम दिनो जब भगत सिंह लाहौर जेल में बंद थे, तो बहुत से पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे । और भगत सिंह से पुछा उनकी कोई आखिरी
इच्छा और देश के युवाओ के लिये कोई संदेश ? तब शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा कि मैं देश के नौजवानो से उम्मीद करता हूँ ।
कि जिस indian police act के कारण लाला जी जान गई । जिस indian police एक्ट के आधार मैं फ़ांसी चढ़ रहा हूँ । मै आशा करता हुं, इस देश के नौजवान आजादी मिलने से पहले पहले इस indian police act खत्म करवां देगें ।ये मेरी भावना है | यही मेरे दिल की इच्छा है । लेकिन ये बहुत शर्म की बात है अजादी मिलने के बाद जिन लोगो ने देश कि सत्ता संभाली । उन्होने अंग्रेजो का भारत को बरबाद करने के लिये बनाये गये कानुनो में से एक भी कानुन नही बदला । बहुत शर्म की बात है, आजादी के ६४ साल बाद आज भी इस कानून को हम खत्म नहीं करवा पाये । आज भी आप देखो indian police act के आधार पर पुलिस देश वासियो पर कितना जुल्म करती है । कभी अंदोलन करने वाले किसनो को डंडे मारती है । कभी औरत को डंडे मारती है । सरकार के खिलाफ़ किसी भी तरह का अंदोलन किया जाता है । तो पुलिस आकर निर्दोष लोगो को डंडे मारने शुरु कर देती है । आज तक किसी भी राजा ने पुलिस नही बनाई सबकी सेना हुआ करती थी | अंग्रेजो ने पुलिस और indian police act क्रान्तिकारियों को लाठियो से पीटने और अपना बचाव करने के लिय़े बनाया था । और आजादी के 64 साल बाद भी ये पुलिस सरकार में बैठे काले अंग्रेजो की हितो की रक्षा करती है ।और सरकार के खिलाफ़ आन्दोलन करने वालो को वैसे ही पीटती है । जैसे अंग्रेजो कि पुलिस पीटा करती थी ।
और सबसे ताज़ी घटना 4 जून की वो भयानक रात, जब काला धन वापिस लाने के लिये रामलीला मैदान में सोये हुए देश भक्तो पर आधी रात को काले अंग्रेजो के कहने पर लाठिया बरसाई । इसमे सेकड़ो लोग घायल हो गये । और लाला लाजपत राय की तरह बहन राजबाला को लाठिया मार मार कर मार डाला ।
आज हर साल 23 मार्च को हम भगत सिंह का शहीदी दिवस मानाते हैं । लाला लाजपत राय का शहीदी दिवस मानाते हैं । किस मुँह से हम उनको श्रधांजलि
  अर्पित करे । कि लाला लाजपत राय जी, जिस कानून के आधार आपको लाठिया मारी गई, और आपकी हत्या कर दी गयी, उस कानून को हम आजादी के 64 साल बाद भी हम खत्म नहीं करवा पाये । किस मुँह से हम भगत सिंह को श्रधान्जली दे ?  कि भगत सिंह जी जिस अंग्रेजी कानून के आधार पर आपको फ़ासी की सज़ा हुई । आजादी के 64 साल बाद भी हम उसको सिर पर ढो रहे हैं । आज आजादी के 64 साल बाद भी पुलिस आन्दोलन करने वाले भारत वासियो को वैसे ही डंडे मारती हें, जैसे अंग्रेजो की पुलिस मारती तो थी तो कैसे ख सकते हें की हम आजाद हैं|
यह तो थी एक indian police act की कहानी ! अंग्रेज़ो ने ऐसे 34700 कानून भारत को गुलाम बनाने के लिए बनाए थे ! और बहुत शर्म की बात है !वो सारे
के सारे कानून आज भी वैसे के वैसे देश चल रहे हैं !! एक भी कानून को हम बदल नहीं पाये ! बस फर्क इतना है पहले गोरे अंग्रेज़ शासन करते थे, आज काले अंग्रेज़ शासन कर रहे हैं |

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