भारत-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की
मुलाकात में बीते दिनों सियाचिन विवाद के निपटारे के लिए पाकिस्तान की
बेसब्री भले ही दिखाई दी हो, लेकिन भारतीय सेना ने स्पष्ट कहा है कि वह
अपनी पोजीशन छोड़ने के हक में नहीं है। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के
अनुसार सेना ने अपनी राय सरकार को बता दी है। सेना प्रमुख के अनुसार इस बारे में फैसला सरकार को लेना है, लेकिन फौज
की राय में कोई तब्दीली नहीं हुई है। ग्राउंड पोजीशन के प्रमाणीकरण के बिना
दोनों ओर से सैनिक वापस बुलाने के विकल्प के बारे में पूछे जाने पर उनका
दो-टूक कहना था कि सियाचिन के लिए हमने कई जानें गंवाई हैं। वहां हम मजबूत
स्थिति में हैं और ऐसे में किसी ठोस नतीजे के बिना सैनिकों को वापस लौटाना
मुनासिब नहीं है। सेनाध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि सियाचिन भारत के लिए
रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है, बीते साल सियाचिन में आए हिम तूफान में अपने सौ
सैनिकों को गंवाने के बाद पाकिस्तान दुनिया के इस सबसे ऊंचे मोर्चे से
फौजें लौटाने के लिए बेसब्री दिखा रहा है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल
परवेज अशरफ कियानी भी इसकी कई बार वकालत कर चुके हैं। वहीं, गत 8 सितंबर को
इस्लामाबाद में हुई दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद साझा
पत्रकार वार्ता में पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कई बार
सियाचिन से फौज को लौटाने पर जोर दिया। इससे पहले जून 2012 में रक्षा
सचिवों की वार्ता में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई
थी। सियाचिन न छोड़ने की राय के बाद बातचीत की प्रक्रिया के बारे में पूछे
जाने पर सेनाध्यक्ष जनरल सिंह ने कहा कि वार्ताएं दोनों मुल्कों के स्तर पर
हो रही हैं। देखना होगा कि इस बातचीत का नतीजा क्या होता है। उनका कहना था
कि रक्षा सचिवों के बीच हुई 13वें दौर की बातचीत में इस पर वार्ता पूरी
नहीं हो पाई थी। अगले दौर में भी चर्चा होगी। उल्लेखनीय है कि सियाचिन पर
हक जमाने के पाकिस्तानी मंसूबों के बाद भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के
जरिये ग्लेशियर के ऊंचाई वाले स्थान पर कब्जा किया था। चीन के साथ 1962 की लड़ाई को अगले माह 50 बरस
पूरे होंगे। इससे पहले सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि भारतीय फौज
अब किसी भी सूरत में उसकी पुनरावृत्ति नहीं होने देगी। वहीं, पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी सेना
की मौजूदगी को चिंताजनक मानते हुए जनरल सिंह ने कहा कि हम अपनी सीमाओं की
रक्षा कर रहे हैं। इस बारे में हमने अपनी चिंताएं सरकार को बता दी हैं। किसी एक देश की बात नहीं है, हम किसी को भी
भारत की सीमाओं में दाखिल नहीं होने देंगे|
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