तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को संप्रग से बाहर आने की औपचारिकता पूरी
करेगी। पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी की संप्रग में बने रहने की तीन शर्तो को
कांग्रेस ने तवज्जो नहीं दी है। नतीजा, अपनी घोषणा के अनुरूप तृणमूल के
सभी छह मंत्री शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर अपने इस्तीफे
देंगे। साथ ही, राष्ट्रपति को केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंपा
जाएगा।
खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 51 प्रतिशत किए जाने, डीजल की कीमत पांच रुपये बढ़ाने और एक साल में रियायती दर पर केवल छह एलपीजी सिलेंडर देने के फैसले के विरोध में ममता बनर्जी ने मंगलवार को संप्रग से बाहर आने का एलान किया था। उन्होंने इन फैसलों से पीछे हटने के लिए केंद्र सरकार को 72 घंटे का मौका भी दिया। लेकिन 48 घंटे गुजर जाने के बाद ऐसा नहीं लग रहा कि केंद्र ममता की मांग को गंभीरता से ले रहा है। उल्टे तृणमूल कांग्रेस की समर्थन वापसी से पैदा हुई स्थिति से निपटने में कांग्रेस लगी हुई है। पार्टी की तरफ से आ रहे बयानों में सरकार की स्थिरता पर पूरा भरोसा व्यक्त किया जा रहा है। इसी के बाद गुरुवार को ममता बनर्जी ने कोलकाता में साफ कर दिया कि शुक्रवार को उनकी पार्टी के सभी मंत्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को इस्तीफा सौंप देंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात का समय मांगा गया है, जैसे ही समय मिलता है, पार्टी नेता उनसे मिलकर 19 लोकसभा सदस्यों के समर्थन वापसी का पत्र उन्हें देंगे।
ममता ने कहा, एफडीआइ के मुद्दे पर हम कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं और न ही वह अपनी मांगों पर कांग्रेस नेताओं से बातचीत के लिए नई दिल्ली जाएंगी। ममता के रुख साफ कर दिए जाने से मनमोहन सरकार के अल्पमत में आने का खतरा पैदा हो गया है। घोषित तौर पर सरकार समर्थक लोकसभा सदस्यों की संख्या 273 से घटकर 254 रह जाएगी। इसके बाद पार्टी को बाहरी समर्थन का मोहताज होना पड़ेगा।
केंद्र सरकार से समर्थन वापसी के फैसले से बढ़ी सियासी तपिश के बीच तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा है कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार उनकी योजनाओं की जानकारी के लिए ऐसा कर रही है। वह खुद केंद्र सरकार में रही हैं, इसलिए उन्हें इन तरीकों के बारे में पता हें ।
खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 51 प्रतिशत किए जाने, डीजल की कीमत पांच रुपये बढ़ाने और एक साल में रियायती दर पर केवल छह एलपीजी सिलेंडर देने के फैसले के विरोध में ममता बनर्जी ने मंगलवार को संप्रग से बाहर आने का एलान किया था। उन्होंने इन फैसलों से पीछे हटने के लिए केंद्र सरकार को 72 घंटे का मौका भी दिया। लेकिन 48 घंटे गुजर जाने के बाद ऐसा नहीं लग रहा कि केंद्र ममता की मांग को गंभीरता से ले रहा है। उल्टे तृणमूल कांग्रेस की समर्थन वापसी से पैदा हुई स्थिति से निपटने में कांग्रेस लगी हुई है। पार्टी की तरफ से आ रहे बयानों में सरकार की स्थिरता पर पूरा भरोसा व्यक्त किया जा रहा है। इसी के बाद गुरुवार को ममता बनर्जी ने कोलकाता में साफ कर दिया कि शुक्रवार को उनकी पार्टी के सभी मंत्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को इस्तीफा सौंप देंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात का समय मांगा गया है, जैसे ही समय मिलता है, पार्टी नेता उनसे मिलकर 19 लोकसभा सदस्यों के समर्थन वापसी का पत्र उन्हें देंगे।
ममता ने कहा, एफडीआइ के मुद्दे पर हम कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं और न ही वह अपनी मांगों पर कांग्रेस नेताओं से बातचीत के लिए नई दिल्ली जाएंगी। ममता के रुख साफ कर दिए जाने से मनमोहन सरकार के अल्पमत में आने का खतरा पैदा हो गया है। घोषित तौर पर सरकार समर्थक लोकसभा सदस्यों की संख्या 273 से घटकर 254 रह जाएगी। इसके बाद पार्टी को बाहरी समर्थन का मोहताज होना पड़ेगा।
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